Wednesday, September 16, 2020

Lingaashtakam लिंगस्कटम

                                         


                            ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिङ्गं

निर्मलभासित शॊभित लिङ्गम् ।

जन्मज दुःख विनाशक लिङ्गं

तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 1 ॥

दॆवमुनि प्रवरार्चित लिङ्गं

कामदहन करुणाकर लिङ्गम् ।

रावण दर्प विनाशन लिङ्गं

तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 2 ॥

सर्व सुगन्ध सुलॆपित लिङ्गं

बुद्धि विवर्धन कारण लिङ्गम् ।

सिद्ध सुरासुर वन्दित लिङ्गं

तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 3 ॥

कनक महामणि भूषित लिङ्गं

फणिपति वॆष्टित शॊभित लिङ्गम् ।

दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिङ्गं

तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 4 ॥

कुङ्कुम चन्दन लॆपित लिङ्गं

पङ्कज हार सुशॊभित लिङ्गम् ।

सञ्चित पाप विनाशन लिङ्गं

तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 5 ॥

दॆवगणार्चित सॆवित लिङ्गं

भावै-र्भक्तिभिरॆव च लिङ्गम् ।

दिनकर कॊटि प्रभाकर लिङ्गं

तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 6 ॥

अष्टदलॊपरिवॆष्टित लिङ्गं

सर्वसमुद्भव कारण लिङ्गम् ।

अष्टदरिद्र विनाशन लिङ्गं

तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 7 ॥

सुरगुरु सुरवर पूजित लिङ्गं

सुरवन पुष्प सदार्चित लिङ्गम् ।

परात्परं परमात्मक लिङ्गं

तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 8 ॥

लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठॆश्शिव सन्निधौ।

शिवलॊकमवाप्नॊति शिवॆन सह मॊदतॆ ।

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॥ शिवाष्टकम् ॥

  ॥ शिवाष्टकम् ॥ तस्मै नमः परमकारणकारणाय दीप्तोज्ज्वलज्ज्वलितपिङ्गललोचनाय। नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय नमः शिवाय॥१॥ ...